डॉ ओम सुधा
डॉ ओम सुधा पिछले 15 साल से सामाजिक जीवन में सक्रिय हैं. अपने सामाजिक जीवन में डॉ ओम सुधा ने लगातार देश के दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं कि आवाज़ को मजबूती से उठाया है. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर, बिहार से बालिका श्रमिकों कि सामजिक एवं आर्थिक स्थितियों का अध्ययन विषय पर शोध किया और पी एच डी कि उपाधि लेने के पश्चात सामाजिक जीवन में सक्रीय हो गए. अपने शुरुआती दौर में गैर-सरकारी संगठन और एक प्रयास से जुड़े और हाशिये के लोगों के जीवन में परिवर्तन के लिए जुट गए.
डॉ ओम सुधा पिछले 15 साल से सामाजिक जीवन में सक्रिय हैं. अपने सामाजिक जीवन में डॉ ओम सुधा ने लगातार देश के दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं कि आवाज़ को मजबूती से उठाया है. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर, बिहार से बालिका श्रमिकों कि सामजिक एवं आर्थिक स्थितियों का अध्ययन विषय पर शोध किया और पी एच डी कि उपाधि लेने के पश्चात सामाजिक जीवन में सक्रीय हो गए. अपने शुरुआती दौर में गैर-सरकारी संगठन और एक प्रयास से जुड़े और हाशिये के लोगों के जीवन में परिवर्तन के लिए जुट गए. अम्बेडकर फुले युवा मंच से जुड़कर समाज कि मुख्यधारा से कट चुके लोगों के लिए काम करते रहे. इस दौरान देश के अलग अलग हिस्से में दलित उत्पीडन के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते रहे. बिहार के भागलपुर में दलितों के भूमि आन्दोलन में डॉ ओम सुधा कि भूमिका यादगार है.
वर्तमान में “अनुसूचित जाति-जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ “ में राष्ट्रीय महासचिव के पद पर रहकर काम कर रहे हैं. यह संगठन भारत में अधिकारियों- कर्मचारियों का सबसे बड़ा संगठन है. इस संगठन का विस्तार पूरे देश में है. वर्तमान समय के सामाजिक आन्दोलन में डॉ ओम सुधा एक जाना पहचाना नाम है.
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