देश में पहली बार अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों ने नेशनल एससी,एसटी ,ओबीसी बैंकर्स एसोसिएसन की स्थापना की



स्थानीय गांधी शान्ति प्रतिष्ठान , नई दिल्ली में गत रविवार को बैंक निजीकरण के मुद्दे पर डॉ उदित राज की अध्यक्षता में एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. देश में पहली बार अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों ने नेशनल एससी,एसटी ,ओबीसी बैंकर्स एसोसिएसन की स्थापना की है. जिसका प्रथम अधिवेशन स्थानीय गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ. अबतक कर्मचारी – अधिकारी निजीकरण के खिलाफ ट्रेड यूनियन की कार्यशैली की दृष्टि से निजीकरण के खिलाफ लड़ते रहे हैं . जो आंशिक रूप से ही सफल होता रहा है या कभी नही भी हुआ है. अगर देश के ट्रेड यूनियंस ने समाज से जोड़कर के संघर्ष किया होता तो सफलता जरुर प्राप्त कर चुके होते. अनुसूचित जाति– जनजाति परिसंघ तीन संवैधानिक संशोधन करने में सफल रहा क्योंकि संघर्ष से समाज को भी जोड़ा गया. विनोद कुमार अध्यक्ष, नेशनल एससी,एसटी, ओबीसी बैंकर्स एसोसिएसन ने कहा कि- देश के बैंक कर्मचारी परिसंघ की रणनीति के अनुसार संघर्ष करेंगे. प्रत्येक कर्मचारी स्वतः के अलावा परिवार और समाज को भी इस आन्दोलन का हिस्सा बनाए. पूर्व में सरकारें संवेदनशील होती थी तब ट्रेड यूनियन की मांगे मान ली जाती थी. लेकिन अब सरकार निरंकुश हो चुकी है. वर्तमान में राजनीतिक शक्ति को प्रभावित करने के लिए अधिक से अधिक वोटर के पास पहुंचना होता है. कोई भी सरकार हो उसको वोट की दरकार होती ही है. आर. के. कल्सोत्रा संयोजक, नेशनल एससी, एसटी, ओबीसी बैंकर्स एसोसिएसन ने कहा कि सोशल मीडिया पर हमें लड़ाई लड़ना होगा. उठते- बैठते , चलते- फिरते या जब भी समय हो निजीकरण के खिलाफ ट्वीट करें, वीडियो बनाकर फेसबुक, व्हाट्सएप, इन्स्टाग्राम पर अपलोड करें. याद रहे की वीडियो बड़ा नहीं होना चाहिए. यह महसूस किया गया है कि लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय तो रहते हैं लेकिन चुटकुलेबाजी या किसी के वक्तव्य के आगे बढ़ाने में लगे रहते हैं. टांग खिचाई का भी प्लेटफार्म कुछ लोगों ने सोशल मीडिया को बना लिया है. लेकिन हमें इस ताकतवर प्लेटफोर्म का इस्तेमाल लगातार अपनी मांग उठाने के लिए करेंगे |

नेशनल एससी,एसटी, ओबीसी बैंकर्स एसोसिएसन के संगठन सचिव प्रेम सिंह चौहान ने कहा कि जबतक इस मुद्दे को जन आन्दोलन नही बनाया जाएगा तब तक निजीकरण का यह सिलसिला रुकने वाला नहीं है. एक समय था जब बैंक का दरवाजा आम लोगो के लिए नहीं खुला था लेकिन राष्ट्रीयकरण के बाद ही आम लोगों के लिए दरवाजा ही नहीं खुला बल्कि क़र्ज़ लेने की सुविधा भी मिली. अब फिर से षड्यंत्र किया जा रहा है कि बैंक पूंजीपतियों और सरमायेदारों के चंगुल में पहुच जाए. लेकिन ऐसा ना हो इसके लिए हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे.

स्थानीय गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, नईदिल्ली में नेशनल एससी, एसटी, ओबीसी बैंकर्स एसोसिएसन के सम्मलेन के उपरान्त निम्नलिखित लोगों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी.

संयोजक आर. के. कल्सोत्रा, अध्यक्ष विनोद कुमार, उपाध्यक्ष मुकेश कुमार, उपाध्यक्ष ज्ञानेंद्र सेठी, महासचिव हरिओम मीणा, महासचिव के.डी. रमेश, संगठन मंत्री प्रेम सिंह चौहान, कोषाध्यक्ष सुरेशचंद, सचिव आकाश मीणा, सचिव जयकार, संयुक्त सचिव प्रकाश गोनाडे |

प्रबंध समिति में सुधीर खांडा , सुशांत मजुमदार , जी.एल. देयामा, बी. डी नंदावर, राजकुमार |